गणपति बप्पा के पाँच महा मंत्र

ganesh

1 – गणेश मंत्र कार्य को विध्न बिना पूर्ण करने के लिए

“ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ।। ”
अर्थ: टेढ़ी सूँड वाले, विशाल देह वाले, करोड़ों सूर्यों जैसे दीप्त देव ! मेरे सब कार्य (आपकी कृपा से) सदा निर्विघ्न रूप से पूर्ण हों।
तथ्य: शुभकारी गणेश शिव और पार्वती के पुत्र हैं। यह स्वयं बुद्धि का प्रतीक हैं। ऋद्धि (समृद्धि) और सिद्धि (अध्यात्म) इमकी पत्नियाँ है। लाभ ऋद्धि से और शुभ (सिद्धि से) इनके दो पुत्र हैं। किसी भी शुभ कार्य में सर्वप्रथम इनकी पूजा का चलन है। इनके आठ प्रमुख अवतार माने जाते हैं। अंत: इन्हें अष्टविनायक कहा जाता है।

2 – बिगड़े काम सुधारने के लिए गणेश मंत्र :

” त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम् ।। ”
अर्थ: भगवान गणेश आप सभी बुद्धियों को देने वाले, बुद्धि को जगाने वाले और देवताओं के भी ईश्वर हैं। आप ही सत्य और नित्य बोध स्वरूप हैं। आपको मैं सदा नमन करता हूं।

3 – गणेश गायत्री मंत्र

ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्

4 – गजानंद एकाक्षर मंत्र

ऊँ गं गणपतये नमः ।।

5 – परेशानियों को दूर करने के लिए

गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌

ग्रह दोष से रक्षा के लिए मंत्र

” गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।। ”

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