हनुमान जी के दिव्य मंत्र…

hanuman
1 – “ॐ नमो हनुमते पाहि पाहि एहि एहि सर्वभूतानां डाकिनी शाकिनीनां सर्वविषयान आकर्षय आकर्षय मर्दय मर्दय छेदय छेदय अपमृत्यु प्रभूतमृत्यु शोषय शोषय ज्वल प्रज्वल भूतमंडलपिशाचमंडल निरसनाय भूतज्वर प्रेतज्वर चातुर्थिकज्वर माहेशऽवरज्वर छिंधि छिंधि भिन्दि भिन्दि अक्षि शूल कक्षि शूल शिरोभ्यंतर शूल गुल्म शूल पित्त शूल ब्रह्मराक्षस शूल प्रबल नागकुलविषंनिर्विषं कुरु कुरु स्वाहा ।”

2 – ” ॐ ह्रौं हस्फ्रें ख्फ्रें हस्त्रौं हस्ख्फें हसौं हनुमते नमः ।”
इस मंत्र को २१ दिनों तक बारह हजार जप प्रतिदिन करें फिर दही, दूध और घी मिलाते हुए धान का दशांश आहुति दें । यह मंत्र सिद्ध होकर पूर्ण सफलता देता है ।

3 – “ॐ दक्षिणमुखाय पञ्चमुखहनुमते कराल वदनाय नरसिंहाय, ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रै ह्रौं ह्रः सकल भूत-प्रेतदमनाय स्वाहा ।” (जप संख्या दस हजार, हवन अष्टगंध से)

4 – “ॐ हरिमर्कट वामकरे परिमुञ्चति मुञ्चति श्रृंखलिकाम् ।”
इस मन्त्र को दाँये हाथ पर बाँये हाथ से लिखकर मिटा दे और १०८ बार इसका जप करें प्रतिदिन २१ दिन तक । लाभ – बन्धन-मुक्ति ।

5 – “ॐ यो यो हनुमन्त फलफलित धग्धगिति आयुराष परुडाह ।”
प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखकर इस मंत्र का २५ माला जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है । इस मंत्र के द्वारा पीलिया रोग को झाड़ा जा सकता है।

6 – “ॐ ऐं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्स्फ्रें ख्फ्रें ह्स्त्रौं ह्स्ख्फ्रें ह्सौं ।”
यह ११ अक्षरों वाला मंत्र अति फलदायी है, इसे ११ हजार की संख्या में प्रतिदिन जपना चाहिए।

7 – ” ॐ ह्रां ह्रीं फट् देहि ॐ शिवं सिद्धि ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं स्वाहा ।”

8 – ” ॐ सर्वदुष्ट ग्रह निवारणाय स्वाहा ।”

9 – ” हं पवननन्दाय स्वाहा ।”

10 – “ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ।”

11 – “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।”

12 – “ॐ नमो हनुमते मदन क्षोभं संहर संहर आत्मतत्त्वं प्रकाशय प्रकाशय हुं फट् स्वाहा ।”

13 – “ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय अमुकस्य श्रृंखला त्रोटय त्रोटय बन्ध मोक्षं कुरु कुरु स्वाहा ।”

14 – “ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ।”

15 – “ॐ हनुमते नमः । अंजनी गर्भ-सम्भूतः कपीन्द्र सचिवोत्तम् । राम-प्रिय नमस्तुभ्यं, हनुमन् रक्ष सर्वदा । ॐ हनुमते नमः ।”

16 – “ॐ हनुमते नमः । आपदाममपहर्तारं दातारं सर्व-सम्पदान् । लोकाभिरामः श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् । ॐ हनुमते नमः ।”

17 – “ॐ हनुमते नमः । मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन । शत्रून् संहर मां रक्ष, श्रियं दापय मे प्रभो । ॐ हनुमते नमः ।”

18 – ” ॐ हं पवननन्दाय स्वाहा ।”

19 – “ॐ पूर्व-कपि-मुखाय पञ्च-मुख-हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु संहरणाय स्वाहा ।”

20 – “ॐ पश्चिम-मुखाय-गरुडासनाय पंचमुखहनुमते नमः मं मं मं मं मं, सकल विषहराय स्वाहा ।”
इस मन्त्र की जप संख्या १० हजार है, इसकी साधना दीपावली की अर्द्ध-रात्रि पर करनी चाहिए । यह मन्त्र विष निवारण में अत्यधिक सहायक है ।

21 – “ॐ उत्तरमुखाय आदि वराहाय लं लं लं लं लं सी हं सी हं नील-कण्ठ-मूर्तये लक्ष्मणप्राणदात्रे वीरहनुमते लंकोपदहनाय सकल सम्पत्ति-कराय पुत्र-पौत्रद्यभीष्ट-कराय ॐ नमः स्वाहा ।”
इस मन्त्र का उपयोग महामारी, अमंगल एवं ग्रह-दोष निवारण के लिए है ।

22 – “ॐ नमो पंचवदनाय हनुमते ऊर्ध्वमुखाय हयग्रीवाय रुं रुं रुं रुं रुं रुद्रमूर्तये सकललोक वशकराय वेदविद्या-स्वरुपिणे ॐ नमः स्वाहा ।”
यह वशीकरण के लिए उपयोगी मन्त्र है ।

23 – “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रैं हनुमते नमः ।”

24 – “ॐ श्री महाञ्जनाय पवन-पुत्र-वेशयावेशय ॐ श्रीहनुमते फट् ।”
यह 24 अक्षरों का मन्त्र है इसके ऋषि ब्रह्मा, छन्द गायत्री, देवता हनुमानजी, बीज श्री और शक्ति फट् बताई गई है । छः दीर्घ स्वरों से युक्त बीज से षडङ्गन्यास करने का विधान है । इस मन्त्र का ध्यान इस प्रकार है – आञ्जनेयं पाटलास्यं स्वर्णाद्रिसमविग्रहम् । परिजातद्रुमूलस्थं चिन्तयेत् साधकोत्तम् ।।

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